ये किसा हे १९८६ का

ये किसा हे १९८६ का
  • ये किसा हे १९८६ का
  • Jul 20 2019 09:22:35 AM

मेरा नाम हिम्मतलाल है ।

मैं अपनी ज़बान से लिख रहा हूँ। मेरी पत्नी अजाद देवी वैवारा गावं में था। हम पर जा दालान वाता है, वा सैयद अली मीरा दातार की करामता का कार्ड पार नहीं है या बताऊँ ये इन वड़े शहेन्शाह है कि क्या शान है आप का अनाद न हिन्दुस्तान की सरज़मीन पर हमार जैसे दुग्विया की के लिये मगाहा वनाका भेजा है। सैयद अली मीरा दातार का जैसा नाम वैसा काम, म दाम्नान यहां से शुरु होती है। मेरी पत्नी गाँव में थी मुवह नहाने के लिये नदी किनार पे जा रही थी। ऐक शैतान का साया मेरी वावा अजाद देवा पर हो गया, वो बहोत ताकतवार शैतान था वो मेरी पत्नी के शरीर में आने से पहल २५ औरतों की जान ले चुका था और २२ मकान में पूर्वजन्म में अपनी दृमत चलाता था मेरे पिताजी मनोहर लाल जी की भी उसी ने जान ली थी। ६ महीने तक रात दिन अजाद देवी को वहात परेशान किया कि क्या वयान करू पागलों जैसी हालत थी। वो शैतान केहता था कि तु जो मागगी में लाई ढुंगा लकिन अजाद देवा सैयद अली को बहोत मानती थी। | अपने माता पिता के आदर्श को मानती थी। हर संकट में उनको याद करती थी। और उन की ज़िन्दा करामत घर बैठे। मेरी पत्नी की दुआ कुबूल की। मेरी पत्नी की तकलीफ़ उस्के हाथों में हर पल आपोआप महदी लग जाना उसके हाथ पांव बंध जाना आपोआप नाड़े से बंध जाते धर में चारों तरफ़ आग लग जाना लकिन मेरी पत्नी अजाद देवी का कुछ नहीं होता था। घर के बरतन सोना चांदी कपड़े अपोआप गायव होजाना जा औरत आती तो उन के गले का मंगलसूत्र, पायल, अंगूठी, वंगड़ी,दागीना गायव होजाता। गांव वाल भी बहोत परेशान हो गये कही तांत्रिक की और मौलाना को बुलवाया लेकिन अजाद देवी और खवीस पर किसी का कोई असर नहीं हुवा सव हैरान हो गये किसी की समझ में नहीं आया। अजाद देवी जो माग वी शैतान लाने को तैयार था.